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सुशांत सिंह राजपूत की मर्डर ट्रेजेडी

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सुशांत सिंह राजपूत का एक्स मैनेजर दिशा सालियान ने भी आत्महत्या नहीं की थी उसका भी मर्डर हुआ था, सूरज पांचोली ने दिशा सालयान को अपने पेंटहाउस में पार्टी है बोलकर इनवाइट किया, दिशा उस पार्टी में नहीं जाना चाहती थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों से उसकी सूरज से अनबन चल रही थी, ये बताया दिशा के फ्रेंड पुनीत वशिष्ठ ने, लेकिन फिर दिशा अकेले सूरज के पेंटहॉउस में रात के 8 बजे पहुंची, इस पार्टी में मौजूद थे महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे, सिद्धार्थ पिठानी, संदीप सिंह (जो कल अरनब की डिबेट में साफ-साफ नर्वस दिखा, इनकन्सिस्टेंट था और हकला भी रहा था) रिया का भाई शौमिक चक्रवर्ती, आरबाज ख़ान और दूसरे बौलीवुड के भी स्टार्स थे, उसी रात दिशा का इनलोगों ने रेप किया, और बाद में उसे 14th फ्लोर से नीचे फेंक दिया, लेकिन दिशा के रेप और ऊपर से फेंके जाने के बीच दिशा को थोड़ा सा वक्त मिला और उसने सुशांत को फोन करके उसके साथ हुई सारी बात बता दी। सूरज पांचोली, आदित्य ठाकरे, और दिशा के रेपिस्टो को ये बात पता चल गई कि सुशांत सब जान चुका है,  सुशांत ने ये बात संदीप सिंह और रिया को बताई, इसके बाद इनलोगों ने

44. डाक्टर प्रियंवदा

पटना एम्स में कुछ दिनों तक कार्यरत एवं वर्तमान में भारत की सर्वश्रेष्ठ पैथोलॉजी लाल पैथोलॉजी पटना की चीफ ऑफ लैब के पद पर कार्यरत डॉक्टर प्रियंवदा बरारी विधानसभा के लोगों के लिए महिला सशक्तिकरण की एक अद्भुत मिसाल हैं। बिशनपुर पंचायत के वर्तमान मुखिया परशुराम सिंह एवं पूर्व मुखिया श्रीमती सरस्वती देवी की इकलौती पुत्री डॉक्टर प्रियंवदा का जन्म 26 जनवरी 1982 को कटिहार में हुआ था। परिवार के लोग इन्हें प्यार से मुन्नी के नाम से पुकारते हैं। इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय हजारीबाग की प्रवेश परीक्षा 1993 में उत्तीर्ण कर इन्होंने छोटी आयु में ही कुछ अच्छा करने के संकेत दे दिए थे। 1997 में इस विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात इन्होंने पटना विमेंस कॉलेज पटना से 1999 में इंटर की परीक्षा लगभग 75% अंकों के साथ उत्तीर्ण किया। इसके पश्चात कुछ दिनों तक इनका पढ़ाई पारिवारिक कारणों से बाधित हुआ लेकिन 2003 में अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर इन्होंने पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज धनबाद से 2007 में एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त किया। दरअसल बचपन में जब डॉक्टर इन की मां को देखने आती औ

43. के.एल. अग्रवाल

सत्यभामा नेत्रालय के संस्थापक, मधुबनी मेडिकल कॉलेज में आंख विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सहायक प्रोफेसर, आंख सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ के एल अग्रवाल ने 45000 से ज्यादा लोगों के आंखों का सफल ऑपरेशन कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान किया है। इनका जन्म 1 मार्च 1979 को बरारी के एक संपन्न व्यवसाई परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती सत्यभामा अग्रवाल एवं पिता का नाम भोलाराम अग्रवाल है। अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे कन्हैया अग्रवाल को उनके मित्र प्यार से केएल के नाम से पुकारते थे जो आज इनकी पहचान बन चुकी है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा बरारी के निजी विद्यालय एल बेथल से प्रारंभ हुई। आगे चल कर इन्होंने आदर्श मध्य विद्यालय गुरु बाजार में अध्ययन किया। 1993 में इन्होंने जागेश्वर उच्च विद्यालय गुरु बाजार से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण किया।अपने पढ़ाई के शुरुआती दिनों में श्री अग्रवाल पढ़ाई में बहुत अच्छे छात्र नहीं थे। इनके परिवार के लोग इन्हें पढ़ाना चाहते थे लेकिन पढ़ाई में कमजोर होने और अखिल भारतीय स्तर के प्रतियोगिता परीक्षा पास करने में असफल रहने  के कारण पारिवारिक व्यापार में सहयोग करने लगे। इसी बीच एक

शुभकामना संदेश

सर  कुछ मंत्री स्तरीय कद्दावर नेताओं का इस फॉर्मेट में शुभकामना संदेश लिखवा सकते हैं क्या लेकिन पच्चीस अप्रैल के पहले। अगर ख़ुद वो नहीं लिख सकते तो टेलीफोन पर बातचीत करवा दें। मैं लिख कर उन्हें व्हाट्स एप कर दूंगा और बाद में वो अपने लेटर पेड पर लिख कर, हस्ताक्षर कर हमें व्हाट्स एप और कुरियर कर देंगे ---------------------------------------------- महाशय,            अत्यंत हर्ष के साथ आपको सूचित करना है कि बहुत जल्द बरारी विधानसभा के शख्सियत पुस्तक का प्रकाशन होने जा रहा है। इस पुस्तक में आपसे लगभग दो सौ शब्दों में शुभकामनाएं अपेक्षित है... *शुभकामना संदेश में अपेक्षित सूचना* 👉🏻 आपका बरारी विधानसभा से जुड़ाव कब और कैसे हुआ। 👉🏻 पिछले कुछ वर्षों में आपने बरारी विधानसभा में क्या साकारात्मक बदलाव देखा है। 👉🏻 बरारी विधानसभा के विकास के लिए आपके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों का संक्षिप्त विवरण। 👉🏻 आपके नजरिए से बरारी विधानसभा के विकास के लिए कौन लोग विशेष रूप से सक्रिय हैं अथवा आप स्वयं किन लोगों को बरारी का शख्सियत मानते हैं। 👉🏻 बरारी की उन्नति के लिए कौन कौन कार्य होना अत्यंत महत्

42. परशुराम सिंह

बिशनपुर पंचायत के वर्तमान मुखिया परशुराम सिंह ने अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ का सचिव रहते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर एवं निखिल चौधरी के सहयोग से कटिहार में डाक अधीक्षक कार्यालय का सृजन कर संपूर्ण जिला वासियों को एक अद्भुत तोहफा प्रदान किया है। इनका जन्म 25 मार्च 1954 को धेनुआ गांव में हुआ था, जो 1964 में गंगा कोसी के कटाव के कारण वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है। इनकी माता का नाम स्वर्गीय झालो देवी एवं पिता का नाम स्वर्गीय खंतर प्रसाद सिंह है। इनके पिताजी एक साधारण किसान थे। अपने चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर आने वाले परशुराम सिंह को घर के लोग प्यार से पारस के नाम से पुकारते थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मध्य विद्यालय बकिया में हुई लेकिन आर्थिक स्थिति बहुत खराब होने के कारण इन्हें आगे की पढ़ाई के लिए अपनी फुफू (बुआ) जागो देवी के यहां मनिहारी में चार वर्षों तक गुजारा करना पड़ा। 1971 में इन्होंने हेमचंद्र उच्च विद्यालय हेमकुंज, मनिहारी से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण किया। इस दौरान इन्हें अपने हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रभाकर प्रसाद सिंह एवं भौतिकी शास्त्र के शिक्षक दिने

41. उमेश सिंह

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक सदस्य एवं बरारी विधानसभा के अध्यक्ष, बरारी प्रखंड मत्स्यजीवी सहयोग समिति के मंत्री उमेश सिंह कटाव पीड़ितों के पुनर्वास के लिए आंदोलन और मछुआरा समुदाय के लोगों के हक - हकूक़ के लिए लगातार संघर्ष करने के कारण सत्ता के गलियारों में एक क्रांतिकारी नेता की छवि रखते हैं। इनका जन्म 5 दिसंबर 1970 को काढ़ागोला के मिरकेल गांव में हुआ था। यह गांव 1999 में गंगा कोसी के कटाव की भेंट चढ़ गया। इनकी माता का नाम स्वर्गीय अहिल्या देवी एवं पिता का नाम स्वर्गीय छट्ठू प्रसाद सिंह है। इनके पिताजी राजस्व कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे। अपने छह भाई बहनों में पांचवें नंबर पर आने वाले श्री सिंह बचपन से एक मेधावी छात्र थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मध्य विद्यालय काढ़ागोला में हुई। 1986 में इन्होंने जागेश्वर उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण किया।  1986-88 में इन्होंने कटिहार के प्रतिष्ठित दर्शन साह महाविद्यालय से इंटर किया। 1988-91 में इन्होंने रामबाग कॉलेज, पूर्णिया से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त किया। अपने छात्र जीवन में इन्हें जागेश्वर उच्च वि

बरारी के विधायक

2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार नीरज यादव (राजद) ने इस सीट पर भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बिभास चंद्र चौधरी को हराकर जीत हासिल की।  NCP के Md शकूर तीसरे स्थान पर रहे।  2010 और अक्टूबर 2005 के राज्य विधानसभा चुनावों में, भाजपा के बिभाष चंद्र चौधरी ने बरारी विधानसभा सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एनसीपी के मोहम्मद शकूर को हराया।  अधिकांश वर्षों में प्रतियोगिताएं बहुस्तरीय थीं, लेकिन केवल विजेताओं और धावकों का उल्लेख किया जा रहा है।  फरवरी 2005 में राकांपा के मोहम्मद शकूर ने भाजपा के बिभाष चंद्र चौधरी को हराया। राजद के मंसूर आलम ने 2000 में राकांपा के मोहम्मद शकूर को हराया। जदयू के मंसूर आलम ने 1995 में भाजपा के विभा चंद्र चौधरी को हराया। निर्दलीय, जदयू के मंसूर आलम को हराया।  1990 में एलडी के मंसूर आलम ने 1985 में निर्दलीय प्रेम नाथ जायसवाल को हराया। कांग्रेस के करुणेश्वर सिंह ने 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर - चरण सिंह) की सपना देवी को हराया। जेपी के बासुदेव प्रसाद ने 1977 में निर्दलीय मंसूर आलम को हराया।  [2] [3]